ईश्वर ने मेरे भाग्य में क्या लिखा है - प्रेरक कहानी
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥
ईश्वर ने मेरे भाग्य में क्या लिखा है - प्रेरक कहानी
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
अर्थ: हे प्रभू आपने तुरंत तरकासुर को मारने के लिए षडानन (भगवान शिव व पार्वती के पुत्र कार्तिकेय) को भेजा। आपने ही जलंधर (श्रीमद्देवी भागवत् पुराण के अनुसार भगवान शिव के तेज से ही जलंधर पैदा हुआ था) नामक असुर का संहार किया। आपके कल्याणकारी यश को पूरा संसार जानता है।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥ अंग गौर शिर गंग बहाये ।
अर्थ: हे शिव शंकर भोलेनाथ आपने ही त्रिपुरासुर (तरकासुर के तीन पुत्रों ने ब्रह्मा की भक्ति कर उनसे तीन अभेद्य पुर मांगे जिस कारण उन्हें त्रिपुरासुर कहा गया। शर्त के अनुसार भगवान शिव ने अभिजित नक्षत्र में असंभव रथ पर सवार होकर असंभव बाण चलाकर उनका संहार किया था) के साथ युद्ध कर उनका संहार किया व सब पर अपनी कृपा की। हे भगवन भागीरथ के तप से प्रसन्न हो कर उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति दिलाने की उनकी प्रतिज्ञा को आपने पूरा किया।
श्रीरामचरितमानस धर्म संग्रह धर्म-संसार एकादशी
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
Shiv chaisa द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र